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सरदारः घटना क्रम

सरदारः घटना क्रम

1918 - खेड़ा सत्याग्रह

खेड़ा सत्याग्रह का आयोजन खेड़ा जिले के किसानों को समर्थन देने के लिए किया गया था। फसल मे नुकसान और प्लेग की महामारी के कारण यह किसान अंग्रेजों द्वारा लगाए गए उच्च करों का भुगतान करने मे असमर्थ थे। सरदार पटेल और महात्मा गांधी के समर्थकों ने विशाल कर विद्रोह का आयोजन किया।खेडा के सभी विभिन्न जाति समुदायों ने किसानों के समर्थन मे रैलीयां की। खेड़ा के किसानों ने अकाल के मद्देनजर उस वर्ष के लिए कर-माफी की मांग करने वाली याचिका पर हस्ताक्षर किए। ब्रिटिश सरकार ने पहले घोषणापत्र को रद्द कर दिया और संपत्तियों को जब्त कर लिया।लेकिन अंत मे दोनों पक्ष एक सम्मानजनक समझौते के लिए सहमत हुए। इस समझौते के अनुसार विचाराधीन वर्ष और अगले वर्ष के लिए कर को निलंबित कर दिया और दर मे वृद्धि को कम कर दिया।इतना ही नही, सभी जब्त की गई संपत्ति भी वापस कर दी गई।

1928 - अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया गया

14 अप्रैल, 1928 के दिन सरदार ने मुख्य अधिकारी आई. आर. भगत की नियुक्ति के मतभेदों के चलते अहमदाबाद नगर पालिका के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। भगत के खिलाफ भ्रष्टाचार के कई आरोप थे। कई अनुरोधों के बावजूद सरदार पटेल अहमदाबाद नगरपालिका मे कभी नहीं लौटे।

वल्लभभाई पटेल के नेतृत्व मे वर्ष 1928 का बारडोली सत्याग्रह किया गया था। इस दौरान ही भारत के स्वतंत्रता आंदोलन मे सविनय कानूनभंग सत्याग्रह एक उत्कृष्ट उदाहरण के रूप मे उभर आया। इसने सरदार पटेल को स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख नेताओं मे से एक के रूप में स्थापित किया। बारडोली के किसानों को भूमि करों मे मनमानी वृद्धि के खिलाफ विरोध करने और सत्याग्रह शुरू करने के लिए सरदार ने प्रेरित किया।भले ही सरकार ने किसानों की ज़मीन, संपत्ति, फ़सलों और मवेशियों को जब्त कर लिया, किसानों ने कोई जबरजस्ती नहीं की। अंत मे, सरकार को भूमि राजस्व मे वृद्धि की समीक्षा हेतु एक जांच समिति की नियुक्ति के लिए तैयार होना पड़ा। यह विरोध इस प्रकार सफल रहा। वल्लभभाई पटेल को लोगों ने दिल से सरदार का नाम दिया।

1930 - दांडी मार्च

महात्मा गांधी की अगुआई मे हुई दांडी की ऐतिहासिक नमक यात्रा भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के मुख्य आंदोलनों मे से एक है। सरदार पटेल को 7 मार्च, 1930 को आणंद के पास रास गांव में गिरफ्तार किया गया था। यहां सरदार नमक सत्याग्रह के पक्ष में लोगों में जागृति लाने के लिए एक व्याख्यान देने वाले थे।

31 जुलाई - तिलक वर्षगांठ पर बॉम्बे मे एक जुलूस मे शामिल होने पर एवं आजाद मैदान मे एक विशाल सार्वजनिक सभा को संबोधित करने के जुर्म मे सरदार पटेल को गिरफ्तार किया गया। सरदार को तीन महीने की कैद की सजा सुनाई गई। सरकार की नीतियों के खिलाफ प्रवचन देने की वजह से उन्हें फिर से गिरफ्तार किया गया और नौ महीने जेल की सजा सुनाई गई। 1 नवंबर को उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया। सरदार पटेल अपने पूरे जीवन में छह बार जेल गए।

1947 – भारत का राष्ट्रीय एकीकरण

जुलाई 05 – रियासतों के साथ समझौता वार्ता के लिए एक मंत्रालय बनाया गया।सरदार को इस मंत्रालय के मंत्री के तौर पर शपथ दिलाई गई। अल्प समय मे सरदार ने रियासतों को ठहराव समझौता और परिग्रहण लेखपत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए सहमत कर लिया। इस तरह भारत के इतिहास में पहली बार भारत को एक राष्ट्र की तरह एक शासन प्रणाली मे लाने में वे कामयाब हुए।

अगस्त 15 – भारत ने स्वतंत्रता प्राप्त की, और सरदार को गृह मंत्री और उपप्रधानमंत्री बनाया गया।

अक्टूबर 26 को महाराजा हरिसिंह ने कश्मीर को भारतीय संघ मे सम्मिलित कर दिया और सरदार पटेल ने भारतीय सेना को कश्मीर भेजा।

नवंबर 9 जूनागढ़ विवाद

जूनागढ़ मामले को संयुक्त राष्ट्र संगठन मे ले जाने की लॉर्ड माऊंटबेटन की सलाह को अनदेखा करते हुए सरदार ने भारत सरकार को जूनागढ़ को सम्मिलित करने के लिए सहमत किया।

नवंबर 13 सोमनाथ मंदिर की यात्रा

सरदार ने सौराष्ट्र मे सोमनाथ मंदिर की यात्रा की और लोक निधि से उसके पुननिर्माण का निर्णय लिया।

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