एकता नर्सरी
एकता नर्सरी: स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को राष्ट्र को समर्पित करते समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एकता नर्सरी की परिकल्पना की थी। उन्होंने पर्यावरण अनुकूल आचरणों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए इस एकता नर्सरी को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का सुझाव दिया था।
यह नर्सरी दोहरे उद्देश्य को पूरा करती है। पर्यटकों के लिए एक शैक्षिक सह प्रदर्शन केंद्र होने के साथ-साथ यह स्थानीय लोगों को रोजगार प्रदान करती है। एकता नर्सरी में एक लाख पौधों की पैदावार होती है, जो पूरी एकता नगर में व्याप्त एकता की बुनियादी थीम को दर्शाता है।
एकता हस्तशिल्प: पर्यटक यहाँ बांस शिल्प, एरिका के पत्तों के बर्तन और जैविक बर्तन बनाने का प्रत्यक्ष अनुभव कर सकते हैं, और उन्हें एकता पौधों के साथ खरीद भी सकते हैं। यह एक प्रदर्शन सह बिक्री इकाई है।
- बांस शिल्प: एक अभियान का हिस्सा बनें, एक जागरूक उपभोक्ता बनकर पर्यावरण की रक्षा करें।
- एरिका के पत्तों के बर्तन: एरिका पत्तों के बर्तन बायोडिग्रेडेबल और इको फ्रेंडली उत्पाद होते हैं और इन्हें एरिका पाम के पेड़ों से निकलने वाले पत्तों से बनाया जाता है।
- जैविक बर्तन: पर्यावरण के अनुकूल बायोडिग्रेडेबल बर्तन बनाने के अनंत आनंद का अनुभव करें।
- बोनसाई: एक बोनसाई प्रशिक्षण एवं प्रदर्शन क्षेत्र बनाया गया है, ताकि आगंतुकों को विशाल जंगली पेड़ों के लघु रूप निर्माण की आकर्षक कला से अवगत कराया जा सके।
अन्य आकर्षण:
हाइड्रोपोनिक्स (मिट्टी के बिना खेती)- खेती में नयी तकनीकों को बढ़ावा देने के लिए एक इकाई की स्थापना की गई है।
मधुमक्खियाँ: मधुमक्खियों की भूमिका को प्रदर्शित करने और उन पर प्रकाश डालने के लिए एक मधुमक्षिका पालन गृह की स्थापना की गई है। ये न केवल हमें शहद प्रदान करती हैं, बल्कि परागणकर्ताओं के रूप में इको सिस्टम में एक उल्लेखनीय भूमिका भी निभाती हैं।
कड़कनाथ: कड़कनाथ एक काले रंग का मुर्गा होता है, जिसके मांस और खून का रंग काला होता है। यह केवल भारत में पाया जाता है, और इसे अब एक भौगोलिक पहचान (जीआई) टैग भी मिल गया है। इसमें प्रचुर मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है (चिकन के किसी भी अन्य नस्ल से 25% अधिक), यह नियासिन, प्रोटीन, वसा, कैल्शियम, निकोटिनिक, लोहा और एसिड तथा विटामिन बी1, बी2, बी6, बी12, सी और ई जैसे खनिजों तथा निम्न वसा से भरपूर होता है। कड़कनाथ के मांस का उपयोग तंत्रिका विकार के इलाज के लिए किया जाता है, जबकि इसके रक्त का उपयोग पुरानी बीमारियों के इलाज में किया जाता है।
नर्सरी का मध्य भाग इस क्षेत्र की जनजातीय संस्कृति को प्रदर्शित करने के लिए समर्पित है। स्थानीय लोगों द्वारा उपयोग की जाने वाली विभिन्न कलाकृतियों से युक्त एक आदिवासी झोपड़ी आगंतुकों को मूल संस्कृति से रू-ब-रू कराती है। स्मारिका दुकानें स्थापित की गई हैं जिन्हें गुजरात वन विकास निगम तथा कुटीर एवं ग्रामीण उद्योग विभाग द्वारा चलाया जा रहा है।
सैलानियों को शानदार आदिवासी व्यंजनों- विशेष रूप से एक खास पेय हर्बल ट्राइबल चाय- का स्वाद चखाने के लिए एक कैफेटेरिया स्थापित किया गया है। यहां की ज्यादातर गतिविधियों का संचालन एकता नगर के आसपास के गांवों से जुड़े महिला स्वयं-सहायता समूहों द्वारा किया जाता है। यह पहल स्थानीय लोगों के रोजगार में योगदान करती है और सामाजिक उत्थान की दिशा में बड़ी सहायक है।
इसके अलावा, यह परिसर असाधारण रूप से सुरम्य है, जो विंध्याचल और सतपुड़ा की तेजस्वी पर्वत श्रृंखलाओं की घाटी में नर्मदा नदी के किनारे स्थित है।
इस सौंदर्यपूर्ण मनोहरता को केवल अनुभव किया जा सकता है। दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा के अद्भुत दृश्य को नर्सरी में नियत बिंदु से देखा जा सकता है।