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डायनो ट्रेल

डाइनो ट्रेल: राजासौरस नर्मदेंसिस- नर्मदा घाटी के मूल निवासी डायनासोर

नर्मदा घाटी में हुई हालिया खुदाई से पता चलता है कि डायनासोर की एक स्थानिक प्रजाति राजासौरस नर्मदेंसिस नर्मदा घाटी में मौजूद थी। यह प्रजाति मुख्य रूप से क्रेटेशियस अवधि [जिसे ‘के-पीरियड’ के रूप में भी जाना जाता है] में मौजूद थी। के-पीरियड जुरासिक काल (145 मिलियन वर्ष पहले) और पालेओजेन काल (66 मिलियन वर्ष पहले) के बीच था।          

इतिहास में- राजासौरस नर्मदेंसिस भारत में क्रेटेशियस पीरियड के अंत में पायी जाने वाली कार्निवोरोस एबेलिसॉरिड थेरोपोड डायनासोर की एक प्रजाति है। हममें से बहुत से लोग इस बात से अवगत नहीं हैं कि शुरुआती ट्रियासिक से लेकर अंतिम क्रेटेशियस पीरियड तक भारत कई डायनासोरों का घर था। गुजरात भारत के उन गिने-चुने राज्यों में से एक है जहाँ डायनासोर के जीवाश्मों का खजाना है। राजासौरस भारत में क्रेटेशियस पीरियड के अंत में पाए जाने वाले कार्निवोरोस एबेलिसॉरिड थेरोपोड डायनासोर का वंशज है, जिसकी एक प्रजाति है- राजासौरस नर्मदेंसिस । पश्चिमी भारत के गुजरात राज्य में लमेटा फॉर्मेशन (मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र में पाई जाने वाली एक तलछटी चट्टानी संरचना) से हड्डियों की खुदाई की गई थी, जो शायद अब नर्मदा नदी घाटी है।इसका जातिगत नाम राजासौरस संस्कृत के राजा से निकला है, जिसका अर्थ है ‘शासक, संप्रभु, प्रमुख, या अपनी तरह का सबसे अच्छा’ और प्राचीन ग्रीक सौरस का अर्थ है ‘छिपकली’; और इसका विशिष्ट नाम नर्मदेंसिस मध्य भारत में नर्मदा नदी को संदर्भित करता है जहां इसे खोजा गया था।

आकर्षक प्रतिकृति- एक खास प्रकार के सींग वाले स्थानिक डायनासोर की एक प्रतिकृति बनाई गई है जिसे आगंतुकों के लिए प्रदर्शित किया गया है। प्रतिकृति का आकार वास्तविक डायनासोर के अनुमानित आकार से लगभग तीन गुना है; इसकी लंबाई 75 फीट और ऊंचाई 25 फीट है। यह आगंतुकों को अपने ग्रह और मानव जाति के विकास की एक झलक देता है और इस क्षेत्र की प्राचीन वनस्पतियों एवं जीवों के बारे में जागरूकता पैदा करने का एक प्रयास करता है।

स्थापत्यों को इस तरह से रखा गया है कि लोगों को इन विलुप्त दुर्जेय जानवरों की उपस्थिति का वाकई अहसास हो सकता है। यह आपको लाखों साल पहले पृथ्वी पर के जीवन का अनुभव देता है। विंध्याचल के जंगलों के बीच एक नैसर्गिक पथ आपको राजासौरस नर्मदेंसिस के पास ले जाता है और उस आदिम युग को फिर से जीने का बेशकीमती क्षण प्रदान करता है जब ये भीमकाय जानवर नर्मदा घाटी के प्रागैतिहासिक वुडलैंड्स में विचरण करते थे।

राजासौरस गुजरात के सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया है। जुरासिक पार्क जैसी फिल्मों और टीवी शो के कारण एक फ़िल्मी दैत्य के तौर पर डायनासोर की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है। इसलिए इसने लोगों का ध्यान खींचा है, विशेष रूप से युवा पीढ़ी का। इसकी प्रशस्ति का एक और कारण डायनासोर के खिलौने का बढ़ता आकर्षण है।

अन्य विवरण के लिए निम्नलिखित पते पर संपर्क करें:

वन संरक्षक कार्यालय,

वाडिया जकतनाका के निकट,

राजपीपला  393145

दूरभाष: 02640-220013

फैक्स: 02640222013

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